Pakistan is not able to digest the formation of a democratic government

Editorial: घाटी में पाक को हजम नहीं हो रहा लोकतांत्रिक सरकार का गठन

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Pakistan is not able to digest the formation of a democratic government

Pakistan is not able to digest the formation of a democratic government in the valley: जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्वक राज्य सरकार का गठन होने को पाकिस्तान और उसके पाले-पोसे आतंकी हजम नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि कश्मीर घाटी में आजकल आतंकी हमलों में एकाएक तेजी आ गई है। अभी कुछ पहले तक जम्मू संभाग में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे आतंकियों ने अब फिर कश्मीर को अपना ठिकाना बना लिया है। एक ही दिन में उत्तर और दक्षिण कश्मीर में आतंकी हमले यह बताने को काफी हैं कि किस प्रकार आतंकियों की कुचालें बदल रही हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की मारक क्षमता को कमजोर करने के लिए आतंकी एक साथ कई जगह वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, निश्चित रूप से प्रदेश सरकार और सुरक्षा बलों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन यह समय ऐसी चुनौतियों पर पार पाने का ही है। ऐसा तब है, जब पूरा देश और दुनिया भी यह समझ रही थी कश्मीर घाटी में लोकतंत्र की वापसी मुश्किल है, लेकिन इसमें वक्त लगा और अब प्रदेश की जनता यह बखूबी समझ गई है कि लोकतंत्र के बगैर और आतंकवाद का खात्मा हुए बगैर वह कामयाबी की राह पर आगे नहीं बढ़ सकती और अब घाटी से आतंकवाद का भी खात्मा होना अवश्यंभावी है।

कश्मीर घाटी में बीते 9 दिन के अंदर 4 हमले किए जा चुके हैं और वीरवार को सेना के काफिले पर हुए हमले में 2 जवान भी शहीद हुए हैं। घाटी में इन हमलों के बाद कश्मीरी और गैर कश्मीरी लोगों के बीच जो दहशत है, उसे समझा जा सकता है। घाटी में कश्मीरियों ने अब तक जो झेला है, वह बेहद खौफनाक है। इस उम्मीद में की एकदिन यहां सब ठीक हो जाएगा और शांति कायम हो जाएगी, लोग जिंदा रहे। लेकिन इस दौरान कितने ही लोगों को अपनी बलि देनी पड़ी है। घाटी में हालिया विधानसभा चुनाव में बहुत बड़े पैमाने पर मतदान हुआ है। इसकी एकमात्र वजह यह समझी गई कि जनता यहां की समस्याओं का समाधान चाहती है और अपनी जिंदगी को खुशगवार बनाना चाहती है। इसके लिए उसने पूर्ण बहुमत के साथ ऐसी सरकार को चुना है, जोकि उनका सहारा बन सके।

बीते वर्षों में केंद्र सरकार एवं उसकी सुरक्षा एजेंसियों ने जिस प्रकार कश्मीर पर ध्यान दिया और आतंकियों पर लगातार कार्रवाई की, उसके बाद से यहां आतंकवाद अपनी आखिरी सांसें लेने लगा था। पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए यह नागवार गुजर रहा था कि भारत के जम्मू-कश्मीर में शांति का यह दौर कैसे आरंभ हो चुका है। अब उसकी ओर से पोषित आतंकियों ने घाटी को अपने निशाने पर लेकर यहां आतंकवाद का नया दौर शुरू किया है। यह कितना दुखद है कि बीते कुछ ही दिनों में देश ने यहां कई जवानों की शहादत देख ली है। इस साल अप्रैल से अब 16 जुलाई तक यहां 12 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं, वहीं 10 नागरिकों की भी जानें गई हैं। कुछ दिन पहले भी एक मेजर समेत 4 जवान यहां शहीद हो गए। निश्चित रूप से यह भारतीय सेना और सुरक्षाबलों के लिए बड़ा नुकसान है।

पाकिस्तान के इन गलत इरादों को जवाब भारत की सेनाएं देश के विभाजन के बाद से देती आ रही हैं। कश्मीर के साथ जम्मू हिन्दू बहुल वह इलाका है, जिसको अपने टारगेट पर लेकर आतंकियों ने अशांति के अपने मंसूबे पूरे करने शुरू किए हैं। यह अपने आप में गंभीर चुनौती है कि आतंकी सेना के वाहनों पर सीधे हमले करके सैनिकों की शहादत का जरिया बन रहे हैं। हालांकि रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि जम्मू, कश्मीर की भांति इतना आसान इलाका नहीं है। कश्मीर को तुलनात्मक रूप से आसान इसलिए समझा जाता है, क्योंकि वहां पहाड़ हैं, जिन पर आतंकियों की मूवमेंट को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। लेकिन जम्मू घने जंगल से घिरा इलाका है और सेना एवं सुरक्षा बल इस पूरे जंगल में सर्च ऑपरेशन अंजाम नहीं दे पाते। जबकि आतंकी अपनी वारदात को अंजाम देने से पहले इन्हीं जंगलों में छिपे होते हैं और वारदात के बाद भी इन्हीं जंगलों में छिप जाते हैं।  

दरअसल, घाटी में जिस प्रकार आतंकी वारदातें बहुत बढ़ी हैं, उसके बाद यह जरूरी हो गया है कि केंद्र सरकार इन वारदातों को खत्म करने पर ध्यान दे। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं, इस पर बुरी नजर को सहन नहीं किया जा सकता। यह जरूरी है कि सुरक्षाबलों को आतंकियों के खात्मे के लिए आजादी हासिल हो और ऑपरेशन बगैर किसी तकनीकी प्रक्रिया में फंसने के बजाय सीधे और सपाट तरीके से अंजाम देने की मोहलत मिले। हालांकि इस दौरान नागरिकों की सुरक्षा का ख्याल रखना होगा। 

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